‘लाड़ली बहना’ योजना 5 मार्च को लॉन्च हुई थी। और 25 मार्च यानि आज से आवेदन भरने की शुरुआत भी हो चुकी है। पूरे मध्यप्रदेश में कैम्प लगाकर फार्म भरे जा रहे हैं। लेकिन योजना का सर्वर डाउन हो चुका है। इस कारण भोपाल में दोपहर 1 बजे तक न तो ऑनलाइन फार्म भरे गए और न ही ई-केवायसी हुई।बता दें कि कैम्प में महिलाओं की भीड़ लगातार बढ़ती गयी। महिलाओं ने भूखे-प्यासे रहकर सर्वर शुरू होने का इंतजार किया। 30 अप्रैल तक फार्म भरे जाने के कारण महिलाओं को घबराने की जरूरत नहीं है। भोपाल के हर गांव और वार्ड में कैम्प सुबह साढ़े नौ बजे से शुरू हो गए थे।
सुभाषनगर ब्रिज के पास ऑफिस परिसर में कैम्प लगाया गया। यहां दोपहर 1 बजे तक ऑनलाइन तरीके से एक भी फार्म जमा नहीं हुए। सर्वर डाउन होने की वजह से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने ऑफलाइन फार्म भरवाए। गौतमनगर और जनता क्वार्टर में भी दोपहर साढ़े बारह बजे महिलाओं की लंबी कतार देखने को मिली। यहाँ भी सर्वर ना चलने से फार्म नहीं भरे गए। इसलिए महिलाएं सर्वर शुरू होने का इंतजार करती रही।
आखिर इस योजना की जरूरत क्यों पड़ी? दरअसल नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 के अनुसार मध्यप्रदेश की 23% महिलाएं बॉडी मास इंडेक्स में पीछे हैं। 15 से 49 साल की 54.7% महिलाओं एनीमिया की शिकार हैं। जबकि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा साल 2020-21 में जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में श्रम बल सहभागिता दर में ग्रामीण क्षेत्र में 57.7% पुरुषों की हिस्सेदारी है, वहीं महिलाओं की भागीदारी महज 23.3% है। शहरों में 55.9% पुरुष श्रम बल के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी मात्र 13.6% है। सर्वे से पता चलता है कि काम के नजरिए से पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी कम है। इस कारण से महिलाएं आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर होने के बजाए पुरुषों पर आश्रित हैं।