गहलोत सरकार ने राज्य में ‘कोई भूखा न सोए’ के मिशन को शुरू करते हुए इंदिरा रसोई की शुरुआत की थी। इस रसोई में आमजन को 8 रुपए में खाना खिलाने की व्यवस्था की गई है। अब सरकार ने इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए शहरी इलाकों के साथ ग्रामीण इलाकों में भी शुरुआत करने का निर्णय किया है। राज्य के सभी 33 जिलों के एक हजार गांवों में ये रसोई खोली जाएगी। गांव या कस्बे की जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए इंदिरा रसोई शुरू की जाएगी।
सरकार की ओर से तैयार प्रस्ताव के तहत राज्य के 901 कस्बों में इंदिरा रसोई खोली जाएगी। 5 से 10 हजार की जनसंख्या वाले कस्बे में एक, 10 से 20 हजार की जनसंख्या वाले कस्बे में 2 और 20 हजार से अधिक जनसंख्या वाले कस्बे में 3 रसोईयाँ खोली जाएगी।
शहरों में खुली रसोई की तर्ज पर ही गांवों में भी रसोई के लिए सरकार जगह या जमीन फ्री उपलब्ध करवाएगी। इसके लिए ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) या जिला परिषद सीईओ को जिम्मेदारी दी गई है। हर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है, जो टेंडर करके रसोई का संचालन करने वाली फर्म या संस्था का चयन करेगी।
स्वायत्त शासन विभाग ने जिलों में अभी कुछ गांवों और कस्बों की जनसंख्या के अनुसार रसोई खोलने का प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें जयपुर जिले के 84 गांवों में 92 जगहों पर ये किचन शुरू किए जाएंगे, जो राज्य में सबसे ज्यादा होंगे। इसी तरह जैसलमेर जिले के तीन ग्रामीण कस्बों मोहनगढ़, रामगढ़ और नाचना में एक-एक यानी कुल 3 रसोई खोली जाएगी।
सरकार की ओर से इस किचन में आमजन को 8 रुपए में दिन और 8 रुपए में शाम का भोजन उपलब्ध करवाया जाता है। जिसमें दाल, सब्जी, चपाती और आचार दिया जाता है। हर दिन एक रसोई में अधिकतम 200 लोगों के खाने की व्यवस्था रहती है। सरकार ने कोविड के समय इस रसोई का शुभारम्भ किया था।